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About The Book
Description
Author
राजीव-बधाई हो दोस्त लक्ष्मी जी का तीसरा अवतार जो तेरे घर आया है। आशुतोष-राजीव ! वास्तव में बेटी मेरे लिए लक्ष्मी ही हैं। राजीव-लेकिन भाई मेरे तीन तीन बेटियों के विवाह के लिए अभी से व्यवस्था करनी पड़ेगी। आखिर महंगाई का जमाना है। एक नौकरी में सब कैसे कर पाओगे? आशुतोष-चिंता मत कर राजीव बेटियां अपना भाग्य खुद लेकर आती हैंहमें तो बस उन्हें अच्छी राह दिखानी होती है। थोड़ा मार्गदर्शन करना होता है। राजीव-भाई मैं ठहरा साफ्टवेयर इंजीनियर तुम्हारी दार्शनिक बातें मेरी समझ में नहीं आने वाली। चल खाना खाते हैं।