About the Book: इंसानी दिमाग अपने आप में ही एक उलझन है जिसमे आने वाले कल की चिंता भी है और बीते हुए कल की यादें भी बसी हैं। कुछ यादें सुकून बनकर दिल में उतर जाती हैं और कुछ डर बनकर दिमाग पे हावी हो जाती हैं। इन्ही यादों से कई एहसास दिमाग में उमड़ते हैं उन्हीं एहसासों को लफ़्ज़ों के ज़रिये कविता में बांधकर इस किताब में पिरोया गया है। About the Author: प्रभप्रीत सिंह एक उत्साही कवि हैं जो भावनात्मक विषयों पर कविताएँ लिखतें हैं। उनका मानना है कि जब आप अपने ख्यालों को बोलकर बयां नहीं कर पाते हैं तो वह कलम का सहारा लेकर पन्नों पे उतरने लगते हैं। बचपन से ही उन्हें किताबें और कविताएँ पढ़ना बेहद पसंद था जो लिखने के लिए उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा बनी।
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