Bhaarat- Tattv Avam Sattv
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About The Book

“भारत एक भौगोलिक भूखंड ही नहीं वरन् यह एक दर्शन है विचार है भाव है जीवन शैली है जो संपूर्ण मानवता के लिए कल्याणकारी है। भारत को इसी रूप में विश्व ने जाना है इसलिए उसे विश्व गुरु कहा गया। यदि हम भारत शब्द का संधि विच्छेद करें तो भा $ रत इस प्रकार भारत बनता है भा का अर्थ होता है प्रकाश और रत का अर्थ है लिप्त रहना अर्थात जिस की गति और स्थिति प्रकाश में है। इसलिए कहा गया है कि “तमसो मा ज्योतिर्गमय असतो मा सद्गमय “अर्थात प्रकाश की ओर चलो अपने मन से कलुष और अज्ञान को समाप्त करो। भारत का संदेश है कि मनुष्य प्रकाश की ओर चले जहां उसमें मानवता के सद्गुणों का विकास हो और वह अपने में से अवगुण अर्थात अमानवीय गुण रूपी अंधकार को समाप्त करें। इसी विचार दर्शन के आधार पर भारत पूरे संसार का मार्गदर्शक हो सका। भारतवासी अपने लिए नहीं जीते बरन दूसरों के लिए सबके हित और सब के सुख के लिए जीते हैं। मानव कल्याण के लिए वह अपने प्राणों की भी चिंता नहीं करते।“ इसी पुस्तक से
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