Bhaav Sangrah


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About The Book

इस पुस्तक के माध्यम से मैंने जीवन की एक नई यात्रा शुरू की है। आज की तकनीकी एवं व्यवसायिक व्यस्तता से निकलकर प्रकृति के उन पहलुओं को जान पाया हूँ जो अमूनन लोगों से व्यवहारिक जीवन में नज़रअंदाज़ हो जाता है या समयाभाव में पीछे छूट जाता है। मैंने पक्षियों के कलरव नदियों का कलकल बहना पेड़ों की वो छाँव और फल के रूप में दिव्यतम उपहार पर्वतों के उच्च शिखरों की भव्यता विशाल सागर की अँगड़ाइयाँ इस अनन्त नील गगन में चमकते सूरज चाँद तारे इत्यादि को अपनी कविताओं के माध्यम से भाव बद्ध करने की कोशिश की है। यह किताब पन्नों पर लिखे हुये सिर्फ़ कविताओं एवं शब्दों का संग्रह नहीं है अपितु भावों की पिरोई हुई एक माला है। आप इसे जितना ही फेरोगे उतना ही यह आपके दिल को भाव विह्वल करेगी। साहित्य का छात्र न होने के कारण मुझे लिखने में कभी कभी बड़ी कठिनाई होती थी। अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए मेरे पास उचित शब्द नहीं होते थे अतः अपनी कविताओं में अक्सर बोलचाल की भाषा के शब्दों का ही प्रयोग करता रहा हूँ। इससे यदि आप को किसी भी प्रकार की असुविधा हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। अपनी कविताओं के माध्यम से मैंने पूरी कोशिश की है कि समाज के हर पहलू को छुएँ और मनुष्य की भावनाओं एवं नारी की संवेदनाओं के हर रूप को आप तक परिलक्षित कर सकूँ । प्रकृति के भी हर रूप से आपको रूबरू कराते हुए कुछ तीर्थ स्थलों के भी दर्शन करा सकूँ। क़ानून व्यवस्था तथा मीडिया की कमियों को भी आप तक उजागर करने की कोशिश किया हूँ । इसका तात्पर्य किसी की निन्दा करना नहीं अपितु कमियों में सुधार की सम्भावनाओं को तलाशना है। मेरी किसी भी कविता से या इसके किसी भाव से किसी को भी व्यक्तिगत तौर पर या सामूहिक तौर पर किसी भी तरह का ठेस पहुँचा हो तो मैं हृदय से क्षमाप्रार्थी हूँ। आशा है ये कविताएँ आपके अन्तर्मन को अवश्य छू पायेंगी और मुझे आपका भरपूर प्यार एवं आशीर्वाद मिलेगा।
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