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About The Book
Description
Author
About the Book: यथार्थ आज का सच है लेकिन इस सच से जूझते हम सब अपनी भावनाओं को ख़त्म करते जा रहे हैं मैं इस तरह लेकिन नहीं सोच पाती. मेरी दुनिया भावनाओं से शुरू होकर भावनाओं पर ही ख़त्म हो जाती है . मै नहीं जानती के कितने लोग मेरे जैसा सोचते हैं और उस हिसाब से जीने की भी कोशिश करते हैं पर मै एक बात ज़रूर जानती हूँ के भावनाओं के बिना यथार्थ का कोई मतलब नहीं. एक समय बाद आपकी भावनाएं ही आपको बचा पाएंगी आपका यथार्थ नहीं मेरी इस कोशिश को पढ़िएगा और ज़रूर बताएगा के आपको ये कोशिश कैसी लगी About the Author: पायल चौधरी दिल्ली में रहने वाली एक मीडिया प्रोफेशनल हैं . इन्होंने भारतीय जनसंचार संस्थान जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन इंग्लिश जर्नलिज्म दिल्ली विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म होनोर्स में स्नातक और GJU हिसार से जर्नलिज्म और मास कम्युनिकेशन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है पायल ब्रॉडकास्ट और डिजिटल मीडिया में पिछले ६ साल से काम कर रही हैं और सोशल मीडिया कंटेंट प्लानिंग स्ट्रेटेजी और एक्सेक्यूशन में इनकी विशेषज्ञता है पायल काफी छोटी उम्र से लिख रही हैं और उनकी इस लिखने की रूचि ने इनको एक कवियत्री/लेखक बनने की प्रेरणा दी है