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About The Book
Description
Author
भगवान महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर है जिनके जीवन संघर्ष को इस पुस्तक में उकेरा गया है। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् उन्होंने समवशरण में ज्ञान प्रसारित किया। 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई| About the Author गोकुलचन्द्र जैन हिन्दी के प्रख्यात लेखक और समाजसेवी के साथ-साथ एक महान दानी भी थे। इन्होंने अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना में आर्थिक सहयोग दिया है खासकर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना में इनका दिया गया दान अतुलनीय था। गोकुलचन्द्र जैन ने कई उत्कृष्ट पुस्तकों की रचना की है|