Bhaktiyog (भक्तियोग) + Dhyanyog(ध्यानयोग) + Gyanyog(ज्ञानयोग)

About The Book

This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित 'भक्तियोग' भक्ति के मार्ग को समर्पित एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह पुस्तक भक्ति के मूलभूत सिद्धांतों और उसके विभिन्न अभ्यासों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करती है। इसमें भक्ति को ईश्वर के प्रति अटूट प्रेम और पूर्ण समर्पण के रूप में परिभाषित किया गया है। 'भक्तियोग' इस शक्तिशाली भावना को उजागर करता है जो एक साधक को सीधे परमात्मा से जोड़ती है। यह हमें सिखाता है कि भक्ति आध्यात्मिक उन्नति और परम मुक्ति प्राप्त करने का एक सरल और अत्यंत प्रभावी साधन है। यह ग्रन्थ इस बात पर प्रकाश डालता है कि भक्ति के माध्यम से मनुष्य ईश्वर की असीम कृपा को प्राप्त कर सकता है और अपने जीवन में सच्ची शांति और आनंद का अनुभव कर सकता है। 'भक्तियोग' उन सभी लोगों के लिए एक मूल्यवान मार्गदर्शक है जो भक्ति के मार्ग पर चलना चाहते हैं। यह पुस्तक हमें ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण विकसित करने और एक सार्थक आध्यात्मिक जीवन जीने के लिए प्रेरित करती है ज्ञानयोग स्वामी विवेकानंद की एक महत्वपूर्ण कृति है जो ज्ञान के मार्ग पर केंद्रित है। इस पुस्तक में स्वामीजी ने वेदांत दर्शन के गहन सिद्धांतों को सरल और सुगम भाषा में प्रस्तुत किया है। वे बताते हैं कि सच्चा ज्ञान आत्मा की प्रकृति और ब्रह्मांड के साथ उसके संबंध को समझने में निहित है।<br>स्वामीजी तर्क और बुद्धि के माध्यम से आध्यात्मिक सत्य की खोज पर जोर देते हैं। वे अंधविश्वासों और कर्मकांडों से दूर रहने तथा आत्म-विश्लेषण और मनन के द्वारा सत्य को जानने का आह्वान करते हैं। पुस्तक में वे विभिन्न दार्शनिक अवधारणाओं जैसे माया ब्रह्म और आत्मा की व्याख्या करते हैं जिससे पाठकों को वास्तविकता की गहरी समझ मिलती है।<br>ज्ञानयोग उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शिका है जो जीवन के अंतिम सत्य को जानने की इच्छा रखते हैं और पारंपरिक धार्मिक विश्वासों से परे जाकर स्वयं अनुभव करना चाहते हैं। यह पुस्तक पाठकों को आत्म-ज्ञान की ओर प्रेरित करती है और उन्हें अपनी आंतरिक शक्ति और क्षमता को पहचानने में मदद करती है। यह पुस्तक ज्ञान के महत्व आध्यात्मिक जिज्ञासा और आत्म-साक्षात्कार के मार्ग पर एक शक्तिशाली अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। 'ध्यानयोग' स्वामी विवेकानंद के विभिन्न व्याख्यानों और लेखों से संकलित एक महत्वपूर्ण कृति है। यह पुस्तक ध्यान की अवधारणा उसकी आवश्यकता और अभ्यास की सरल एवं प्रभावी विधियों पर प्रकाश डालती है। स्वामीजी बताते हैं कि ध्यान केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि मन को एकाग्र करने और आंतरिक शक्ति को जागृत करने का एक वैज्ञानिक तरीका है।<br>पुस्तक में मन की चंचलता को नियंत्रित करने एकाग्रता बढ़ाने और अंततः आत्म-साक्षात्कार की ओर बढ़ने के लिए व्यावहारिक मार्गदर्शन दिया गया है। स्वामी विवेकानंद योग और वेदान्त के सिद्धांतों के आधार पर ध्यान के महत्व को स्पष्ट करते हैं और बताते हैं कि कैसे नियमित अभ्यास से व्यक्ति मानसिक शांति स्पष्टता और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त कर सकता है।<br>यह पुस्तक उन सभी के लिए एक मूल्यवान संसाधन है जो ध्यान के मार्ग पर चलना चाहते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना चाहते हैं। स्वामीजी की ओजस्वी वाणी और गहन ज्ञान इस पुस्तक को एक प्रेरणादायक और मार्गदर्शक कृति बनाते हैं।
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