*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹187
₹200
6% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
भारत के समकालीन राजनीति में आंतरिक एवं बाह्य दोनों क्षेत्रों में सर्वाधिक महत्व है। सौभाग्य से ई. 1979 में विदेश मंत्री स्व. बाजपेयी की बीजिंग यात्रा के बाद दोनों देशों के संबंधों में उत्तरोत्तर सुधार हुआ है। र्दुभाग्य से भारतीय जन मानस में चीन की एक नकारात्मक छवि जो सत्य से अधिक भ्रामक पर आधारित है। इस पुस्तक में उस भ्रमजाल के पार जाकर देखने का निष्पक्ष प्रयास है।पुस्तक में उन परिस्थितियों एवं कारणों का विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है कि 1954 का हिन्दी चीनी एक भाई-भाई त्रासद युद्ध में क्यों बदल गया? यह भी स्पष्ट किया गया है कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों वास्तविकताओं और राष्ट्रहित में हमारी राह क्या हो? चीन के साथ व्यापारिक असंतुलन के क्या कारण है? चीन पाकिस्तान का बढ़ता संबंध क्या भारत की कीमत पर है? क्या यदि हम सकारात्मक जन मत तैयार करें तो सीमा समस्या का भी स्थाई समाधान संभव है?लेखक का जन्म मुंगेर ( बिहार ) जनपद के महेशपुर ग्राम में हुआ स्थानीय महाविद्यालय से राजनीति शास्त्र (प्रतिष्ठा) एवं प्रमंडलीय महाविद्यालय से विध स्नातक (प्रथम श्रेणी) की उपाधि प्राप्त की। अपने स्वतंत्र विचारों एवं लेखन के कारण इन्हें आपातकाल में जून 1975 से मार्च 1977 तक आंतरिक सुरक्षा अधिनियम में निरुद्ध किया गया। पुनः बिहार प्रशासनिक सेवा में चयनित होकर 30 वर्षों तक विभिन्न प्रशासनिक पदों पर सेवा की। सेवा निवृत हुए सेवा काल में इनकी प्रकाशित पुस्तक ""Rural Poverty The Essence of crisis"" जिसमें देश के अन्दर कृषि के क्षेत्र में प्रादेशिक असंतुलन के प्रश्न को उठाया गया है एवं ""भारतीय समाज में जातिगत असमानता का प्रश्न "" जिसमें जातिगत असमानता के पीछे के आर्थिक कारणों का विश्लेषण किया गया है का अच्छा स्वागत हुआ। सेवा निवृति के पश्चात् समसामयिक प्रश्नों पर स