Bharat Ke Mahan Swatantrata Senani Madan Mohan Malviya


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About The Book

मानव जीवन में संस्कारों का बहुत बड़ा महत्त्व है। संस्कारों के द्वारा सद्गुणों का विकास करके समाज में उपयोगी बनना है । संस्कार का अर्थ होता है व्यक्तित्व को सजाना संवारना उच्च और स्वच्छ बनाना। इन्हीं संस्कारों में पण्डित मदनमोहन मालवीय जी पले थे।ऐसे संस्कारों से ही महामना मदनमोहन मालवीय जी अपने त्याग धर्मरक्षा भक्ति सात्विकता पवित्रता धर्मनिष्ठा आत्मत्याग आदि सद्गुणों के तो साक्षात् अवतार ही थे। मालवीय जी समाज के प्रति और देश को आजाद कराने में अनेक कष्ट सहन करते हुए अपने कर्तव्य से कभी विमुख नहीं हुए। मालवीय जी की हार्दिक इच्छा थी कि वह भारतीय संस्कृति हिंदू-मुस्लिम एकता और सभी प्राणियों पर दया करें। यद्यपि मालवीय जी आज विद्यमान नहीं हैं परंतु उनकी कीर्ति उनके द्वारा रोपित पादप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय आज भी वट वृक्ष का रूप धारण कर समस्त संसार में शिक्षा के रूप में प्रख्यात हैं। बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ उनके जीवन से प्रेरणा प्राप्त करते हैं धर्मध्वजी मालवीयजी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए उनके पद- चिह्नों पर चलने की प्रेरणा लेते हैं। इस पुस्तक में मालवीय जी के जीवन का पूरा विवरण प्रस्तुत है ।
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