संविधान सभा की बहस आजादी आन्दोलन के महानायकों के अवचेतन मन का दर्शन है और यह दर्शन ही भारतीय संविधान की आत्मा है जिसे जानने-समझने में ‘भारतीय संविधान की निर्माण-यात्रा’ पुस्तक मार्गदर्शक का काम करती है। लेखक ने इस पुस्तक में न केवल संविधान-निर्माण के सम्पूर्ण कार्य को समाहित किया है बल्कि लगभग साढ़े छह हजार पृष्ठों में विस्तृत दुर्लभ संविधान सभा बहस—जिसका हिन्दी अनुवाद : 10484 पृष्ठों में प्रकाशित है—को सरल भाषा में प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत किया है। शासन-प्रणाली संघवाद नागरिकता राष्ट्रध्वज मूल अधिकार आरक्षण अल्पसंख्यकों के लिए राजनीतिक आरक्षण समान नागरिक संहिता पर्सनल लॉ संरक्षण गौवध शराबबन्दी काम का अधिकार आर्थिक लोकतंत्र दासता ऐतिहासिक स्मारकों की सुरक्षा आपातकाल राष्ट्रपति-शासन न्यायपालिका एवं अन्य संवैधानिक संस्थाओं की स्वतंत्रता भाषाई-विवाद अनुच्छेद 370 संविधान-संशोधन उद्देशिका जैसे तमाम जटिल मुद्दों पर हमारे संविधान-निर्माताओं की क्या मंशा थी और वे एक निर्णय पर पहुँच पाने में कैसे सफल हुए? इन सवालों का जवाब देने के साथ-साथ यह कृति प्रेरक संवैधानिक उद्धरणों का आदर्श संकलन भी मुहैया कराती है। संविधान-चक्र क्या है और संविधान के अन्तर्गत यह कैसे कार्य करता है भारतीय संविधान एक सामाजिक दस्तावेज क्यों है विविधताओं वाले भारत राष्ट्र को एकसूत्र में बाँधे रखने के लिए संविधान में क्या-क्या उपाय किए गए हैं ऐसी कई जिज्ञासाओं का समाधान करती यह पुस्तक ‘स्वराज’ को अक्षुण्ण बनाए रखने और ‘सुराज’ को हासिल करने के लिए प्रत्येक नागरिक को प्रेरित-प्रोत्साहित करने में सक्षम है।
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