सत्यजित राय की अधिकांश फ़िल्में उत्कृष्ट साहित्य पर केंद्रित फ़िल्में हैं। बिभूतिभूषण बंद्योपाध्याय ताराशंकर बंद्योपाध्याय परशुराम रबींद्रनाथ ठाकुर नरेंद्रनाथ मित्र प्रेमेंद्र मित्र शरदिदु बैनर्जी सुनील गांगुली शंकर के साथ ही अपने दादा उपेंद्रकिशोर चौधुरी कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद हेनरिक इब्सन तथा स्वयं की लिखी कथाओं पर उन्होंने फ़िल्में बनाईं। सबसे अधिक रबींद्रनाथ की रचनाओं पर क्योंकि शिक्षा के शुरूआती दौर में वे शांतिनिकेतन में भी रहे जहाँ नंदलाल बोस तथा बिनोद बिहारी जी का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। बिनोद बिहारी के जीवन और कर्तृत्व पर उन्होंने ''इनर आई'' नामक वृत्तचित्र का भी निर्माण किया। रबींद्रनाथ की जन्मशती पर लगभग एक घंटे का बेहतरीन वृत्तचित्र रबींद्रनाथ पर बनाया जो उनकी श्रद्धांजलि थी विश्वकवि के प्रति। जिनका जीवन दर्शन राय की फ़िल्मों में अंत:सलिला की भाँति प्रवाहित है। सत्यजित राय सिनेमा को क्रांति या परिवर्तन का औज़ार या माध्यम नहीं मानते थे जैसाकि उनके समकालीन मृणाल सेन तथा ऋत्विक घटक सरीखे फ़िल्मकार मानते थे। राय की फ़िल्में सांस्कृतिक शालीनता और सौम्यता से मंडित फ़िल्में हैं जो अपने प्रेक्षक का संस्कार करती हैं। तथा फ़िल्म कला के प्रति उन्हें संवेदनशील बनाती हैं।
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