Bhartiya Sant Jeevan Aur Sandesh

About The Book

घोर कष्‍टों अभावों संकटों और भयावह अपमानों में जीते हुए के बीच से उठकर दूसरों को भी उठाने खड़ा करने का महाकर्म है। संतों के जीवन का अभियान। उन्‍होंने ठोस कठोर और कटु जीवन से कभी मुंह नहीं मोड़ा न उसे छोड़ कर भागे बल्कि आत्‍मबल से सामना किया और जूझते रहे। उन्‍होंने स्‍वयं भी आर्थिक अभाव के घोर संकट सहे दूसरों को भी अर्थाभाव में पिसते-टूटते देखा किंतु सब को सबसे पहले धनवान बनने की सीख नहीं आत्‍मवान बनने की सीख दी। आत्‍मवान व्‍यक्ति मुसीबतों कठिनाईयों अभावों को खुशी-खुशी सह भी सकता है और अभाव पैदा करने वालों मुसीबतें लाने वालों की नालायकी पर हंस भी सकता है मुकाबला भी कर सकता है क्‍योंकि उसके पैरों के नीचे आत्‍म-अध्‍यात्‍म-परमात्‍मा चेतना की पुख्‍ता एवं भरोसे का आधार होता है। लेखक बलदेव वंशी ने महान भारतीय संतों के जीवन एवं संदेश पर इस पुस्‍तक में प्रकाश डाला है। यह जीवन में मार्गदर्शन के लिए अमूल्‍य निधि साबित हो सकती है।
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