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About The Book
Description
Author
मेरे सामान्य और आध्यात्मिक भाव मेरे मानस पटल पर अटखेलियाँ करते रहे हैं और उनमें से कुछ निस्पृह चेतना की अंगुली पकड़ कर भोली रेखाओं में अनुभूतियों की सहज अभिव्यक्तियां बन गद्यात्मक लहर में कागज़ पर उतर आए हैं। उनमें मेरे पुण्य स्मरण भी हैं द्वंद्व और दुविधा के मंथन भी हैं मेरे निष्ठ संकल्प स्वर भी हैं और मन बोलती कथाएँ भीहैं। - ज्योति वर्मा भाव बिना जीवन क्या? भाव जीवन के स्पंदन हैं; अभिन्न अंग हैं। भाव बिना जीवन केवल यांत्रिक। भाव परिस्थितियों पर विशेषकर मन:स्थितियों पर अवलंबित होने के कारण शाश्वत न होने पर भी जीवन के रंग और आभा बन जाते हैं; जीवन के दिशा बोधक भी बन जाते हैं। रचनावली में 400 से अधिक कविता सादृश्य बंदिशें संकलित हो गई हैं। उनमें से चुनी गईं ये कुछ मुक्त कविताएं और अर्द्ध लयात्मक कविता शैली में अंकित हुए रचना पद सुधि और मनीषी पाठकों से स्वयं संवाद करेंगे और अपनी सार्थकता के सोपान पर चढ़ेंगे।