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About The Book
Description
Author
अनेकत्व से एकत्व की ओर जाना कविता है। वह व्यष्टि और समष्टि के आन्तरिक संबंधों अर्थात भावनाओं एवं अनुभूतियों को अभिव्यक्त करती है। इसीलिए मुझे जो भी अनुभूति जब कभी जिस रूप में हुई उसी रूप में उसे अपने गीतों ग़ज़लों या कविता की अन्य विधाओं में ढाल दिया। मेरा मानना है। कि ग़ज़ल गीत देश-गान भजन नई कविता कुछ भी हो यदि वह पाठकों के मन को छूने उसे आनन्दित आकर्षित करने में सफल है तो वह कविता है। और यदि नहीं तो वह कविता नहीं है गीत नहीं है गज़ल नहीं है। ज़रूरी नहीं कि कविता में संस्कृतनिष्ठ शब्द या उर्दू के कठिन शब्द आयें तभी वह स्तरीय होगी यदि किसी भाव के साथ गीत में उर्दू का कोई शब्द या ग़ज़ल में हिन्दी का कोई शब्द आकर गीत या गज़ल के भावों या वज़न को बढ़ाता है तो उसे अपनाने से परहेज़ नहीं होना चाहिए क्योंकि भाव आत्मा हैं तो शब्द शरीर । दोनों का सूझ-बूझ से इस्तेमाल कविता के सौन्दर्य को बढ़ाता है।भावना के स्वर मेरे हृदय में उपजे भावों को सहज शब्दों में अभिव्यक्त करने का एक विनम्र प्रयास है। आशा है पाठकों को इन रचनाओं में एक भावनात्मकता का आभास अवश्य होगा।