Bheegi Palken (भीगी पलकें)

About The Book

“भीगी पलके" अमर प्रेम की गाथा जीव का जीव से प्रेम निश्चल मन और विशुद्ध विचार के कारण परिपूर्ण पुनः एक बार अवतरित रहस्यों से परिपूर्ण यह दिव्य पुस्तक उस गुजरे हुए कल को आज के समय में उजागर करने के लिए 'ब्रह्माण्ड-नायक' का मिलना ‘पुर्नजन्म' को देखना और 'अस्तित्व' को जोड़ स्वयं से पुनः धरा पर अवतरित होना...<br>बिरजू रत्ना और प्रियदर्शना इस कहानी के मुख्य पात्र हैं... यह कहानी अत्यंत रोचक पूर्ण ज्ञान वर्धक और वस्तुत: सत्य घटना पर आधारित है..जीव का पुर्नजन्म आत्मा का अमर होना इस बात की परिचायक हैं 'भीगी पलकें'...<br>आईये इसे पढ़ें और जाने यह ‘र्ममान्तक' होते हुए भी 'सुखद' है..तुम्हारा भी जन्म ऐसे ही है अन्तर 'नम्रता' ने देखा और अब तुम्हें बता रही है..आओ भीग जाते हैं इस प्रेम-रस' से और अपने भी जीवन के सुखद गुजरे हुए 'प्रेम-पूर्ण' घटनाओं की ओर चलते हैं...<br>- स्वामी कमलेश्वरानंद
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