Bhoj Sanhita : Mangal Khand (भोज संहिता : मंगल  खंड)

About The Book

मंगल को ग्रहों का सेनापति कहा गया है। यह पुरुषार्थ व शक्ति का प्रतीक है। पुरुष का शुक्राणु एवं स्त्रियों का रज मंगल ग्रह के प्रभाव से बनता है। अतः संतान उत्पत्ति दाम्पत्य सुख परस्पर ग्रह-गुण-मेलापक में मंगल का प्रभाव सर्वोपरि है अक्षुण्ण है। मंगलीक दोष का होना सम्पूर्ण संसार में व्यापक है। छोटे-छोटे ग्रामीण अंचल में मंगलीक दोष को लेकर माता। पिता चिंतित रहते है तथा महानगरों विदशा में मंगलीक दोष निवारण का टोटके पूछते हैं। रक्त विकार एवं भाइयों का सुख भी मंगल से ही देखा जाता है।<br>बारह लग्न एवं बारह भावों में मंगल की स्थिति को लेकर 144 प्रकार की जन्मकुण्डलियां अकेले मंगल को लेकर बना। इसम मंगल की अन्य ग्रहा के साथ यति को लेकर भी चर्चा की गई है। फलतः 144X9 ग्रहों का गुणा करने पर कुल 1296 प्रकार से मंगल की स्थिति पर फलादेश का चचा इस ग्रंथ में मिलेगी।<br>पूर्वाचार्यों के सप्रमाण मत के अलावा इस पुस्तक का उपचार खण्ड सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। जिसमें प्रतिकूल मंगल को अनुकूल बनाने के लिए वैदिक पौराणिक तांत्रिक लाल किताब व अन्य अनुभृत सरल टोटके रत्नोपचार व प्रार्थनाएं दी गई है। जिससे तत्त्वग्राही प्रबुद्ध पाठकों के लिए यह पुस्तक अनमोल हो गई। पीड़ित मानवता के कष्टों को दूर करने की शृंखला में लोक-कल्याण की उत्तम भावना को लेकर लिखे गए ऐसे। उत्कृष्ट साहित्य को प्रकाशित करते हुए हमें गर्व का अनुभव हो रहा है।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE