Bhojpuri Ke Pranay Geet: Naktaa

About The Book

*भोजपुरी के प्रणय गीत - नकटा* नकटा शब्द नाटक से बना है जिसका अर्थ नाटकीयता और व्यंग्य है। नकटा गीत रस के फव्वारे हैं और हर संस्कार और प्रसन्नता के अवसर पर गाए जाते हैं। इनका मुख्य तत्व ‘काम’ है। इनमें आदर्श प्रेम कथित पवित्रता और नैतिकता नहीं दिखाई देती है। इन गीतों में सात्विक प्रेम के साथ अनैतिक संबंधों का भी खूब रस लेकर वर्णन किया जाता है। किन्तु ये गीत इस प्रकार के संबंधों को मान्यता न देकर प्रकारांतर से उसका निषेध ही करते हैं। कभी - कभी तो इसमें श्रृंगारिकता और अश्लीलता के बीच बहुत बारीक अंतर दिखाई देता है इस कारण से ए गीत पुरुषों के समक्ष कभी नहीं गाए गए। इन गीतों में मुख्य रूप से परिवार के जटिल संबंधों जैसे - पति - पत्नी सास - बहू ननद- भाभी आदि को ही विषय बनाया गया है जिनका का परिहास पूर्ण वर्णन स्त्रियों के मन की गाँठों को खोल कर उन्हें दुःख - विषाद से मुक्ति देता है। इन गीतों में मुक्त आकाश में उड़ते पक्षियों का कलरव है कल्पनाओं की उड़ाने हैं जो किसी भी बंधन को स्वीकार नहीं करतीं हैं । वास्तव में खजुराहो पुरी आदि घार्मिक स्थानों पर बनी मूर्तियों का जो उद्देश्य था वही उद्देश्य महिला समाज में इन ‘नकटा’ गीतों का है।
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