*भोजपुरी की लोक कथाएँ* लोक कथाएँ वे कहानियाँ है जो हमें मौखिक रूप से हमें परंपरा से प्राप्त होती हैं। इन कथाओं की रचना किसने की अथवा ये समाज में कब से उपलब्ध है इस विषय में कुछ भी निश्चय पूर्व नहीं कहा जा सकता है। पर ये अलग अलग क्षेत्रों यहाँ तक कि विदेशों में भी अपनी मूल कथा के साथ नए नए कलेवरों में उपलब्ध हैं। इन कथाओं में सामाजिक मनोरंजक नीति एवं उपदेश संबंधी धार्मिक व्रत आदि की कथाएँ पशु पक्षियों से संबंधित कथाएँ प्रेम कथाएँ एवं पौराणिक कथाएँ शामिल हैं। इनका उद्देश्य मनोरंजन के साथ साथ मानव के पारस्परिक संबंधों व्यवहारों और स्थितियों को दिखाना हैं जिनमें कोई न कोई मूल्य संबंधी सत्य निहित रहता है। संकलित कथाओं को मौखिक भोजपुरी साहित्य के विशाल भंडार से चुना गया है। जो हमें बताती है कि मक्कारी और धूर्तता का फल अच्छा नहीं होता है। बुद्धि से बड़ी से बड़ी कठिनाई पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इन कथाओं में मनुष्य और पशु पक्षी एक दूसरे की भाषा समझते हैं। लोक ने स्त्रियों के चरित्र को भी लेकर परिहास मूलक कथाओं की रचना की है। लोक कथाओं का बहुत बड़ा हिस्सा नीति कथाओं का है। महत्व की दृष्टि से ए कथाएँ लोक का 'पंचतंत्र' हैं और निश्चित रूप से भोजपुरी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.