एक बड़े शहर की एक पॉश कॉलोनी में बने एक भव्य और खूबसूरत हवेलीनुमा मकान में विचरने वाली एक बहुत ही खूबसूरत आकर्षक और सेक्सी महिला के कारण वह भव्य मकान इसलिए वीरान पड़ा था की लोग उस महिला को भूत समझते थे जब तक कि चोपड़ा ने उस मकान को खरीद कर उसमें रहना शुरू नहीं कर दिया। उसके बाद शुरू हुआ रहस्यमय घटनाओं का ऐसा सिलसिला जिसने पूरे शहर की पुलिस को हिला दिया। पुलिस इंस्पेक्टर का बेटा तक भूत बेगम की चपेट में आ गया। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के फरेंदा जंगल में मशहूर डायन के टीले पर डायन अपने बेटे जगदीश के साथ रह रही थी जबकि जंगल का ग्राउंड स्टाफ कसम खा कर कह रहा था की डायन को मरे कई साल हो चुके हैं। मरी हुई डायन के बेटे से मिलने के लिए वहां आने की बात इतनी डरावनी थी की लोग टीले की तरफ जाने से कतराते थे। जंगल में कुंबिंग करने आई अफसरों की टीम ने स्वयं डायन को उसके बेटे के साथ टीले पर देखा। कथा की इन दोनों कड़ियों के जुड़ते जुड़ते हम जीवन और मृत्यु की उन आधारभूत सच्चाइयों के रूबरू होते हैं जिनके बारे में हमने पहले कभी कल्पना भी नहीं की थी। जहां जहां इस पार के अनूठे सत्यों का सामना उस पार के रहस्यमय और गहरे सत्यों से होता है वहां वहां यह कथा चमत्कारी और दिव्य होती जाती है। कथा आपको जीवन की उन गहराइयों के सामने ला खड़ा करती है जहां आप अविश्वसनीय रूप से चमत्कृत हो जाते हैं। पठनीय और संग्रहणीय पुस्तक है। एक बार पढ़ने के बाद यह कहानी आपके मन में लंबे समय तक घूमती रहेगी।
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