यह काव्य रचना बिखरे पन्ने अपने शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करने में महती भूमिका निभा रहा है।भिन्न-भिन्न विषयवस्तु से युक्त यह रचना कवि की अनुभूति की अभिव्यक्ति है। वास्तव में यह रचना प्रेरणादायी एवं प्रभावोत्पादक है। प्रस्तुत रचना बिखरे पन्ने को छन्दों का अजायबघर कहा जा सकता है। गजल गीत नवगीत एवं अनेक मुक्तकों से युक्त यह व्यंग्य रचना अत्यंत सराहनीय है। इस रचना में कवि ने देश की राजनीतिक दुर्व्यवस्था नेताओं के अनैतिक कृत्य अपराधीकरण बच्चों के भविष्य की चिंता मतदाता की जागरूकता जातीय भेदभाव शिक्षा के गिरते स्तर एवं अनेक सामाजिक बुराइयों पर अपनी चिंता जाहिर की है जो जायज है। देश समाज और कुव्यवस्था पर कवि की पैनी नजर है। रचना में समाहित सभी कविताएँ गेय रोचक प्रवाहपूर्ण प्रासंगिक एवं मंचों में प्रस्तुत करने योग्य है।
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