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About The Book
Description
Author
रेलवे के साथ काम कर चुके उच्च विचारों वाले जिज्ञासु सुनील गुप्ता ने जब तिहाड़ में नई जिम्मेदारी सँभाली तब एक परिचित व्यक्तिउनकी मदद कर रहा था। वहाँ से जाते समय उन्हें यह एहसास हुआ कि वह बेहद शातिर अपराधी और विकृत मानसिकता वाला चार्ल्स शोभराज था जो उस जेल का स्टार था जहाँ धोखेबाजों की तूती बोलती थी। गुप्ता भी एक तरह से उम्र कैदी थे जिन्होंने एक ऐसी जगह में तीन दशक से ज्यादा समय बिताया। जहाँ पिटाई करना ही रोजी-रोटी थी और अधिकार माँगनेवाले पीड़ितों की हड़ताल नाश्ते की तरह थी।यह पुस्तक कई खुलासे करती है बताती है कि एशिया की सबसे बड़ी जेल के भीतर जीवन कैसा है ? क्या होता है जब किसी को फाँसी देदी जाती है मगर दो घंटे बाद भी उसकी नब्ज थमती नहीं ? क्या निर्भया के बलात्कारी राम सिंह ने खुदकुशी की थी या उसकी हत्या की गईथी ? पहली बार हम जेल के भीतर के व्यक्ति से सनसनीखेज बातों को जानते हैं जिसने वहाँ जो कुछ देखा उस पर अपनी चुप्पी तोड़ी है।बेहद खराब फैसलों का शिकार होनेवालों से लेकर भारतीय इतिहास के कुख्यात लोगों तक गुमनाम से लेकर सबसे अधिक सजा पानेवालेइस उपमहाद्वीप के अपराधियों तक शोभराज से लेकर अफजल गुरु तक दोषी और फँसाए गए लोग कैसे जिए और मरे। पुरस्कृत पत्रकार सुनेत्रा चौधरी ने सबसे गुप्त संस्थानों में से एक में बिताए गए एक असाधारण जीवन को कलमबंद किया है। भारत की न्याय और आपराधिक न्याय प्रणाली के अनजाने सबसे दिलचस्प और सहज-सरल वर्णन के लिए “ब्लैक बॉरंट' को पढ़ें जो रहस्यों और आश्चर्यों से भरी पुस्तक है।