हृदय-रोग मधुमेह आदि-आदि की ही भांति रक्तचाप भी आधुनिक ऐश्वर्यपूर्ण प्रगतिशील एवं भौतिक साधनों की देन है। इस भौतिकवादी युग में जिसे विज्ञान की प्रगति का युग नाम से अधिक जाना जाता है मनुष्य का जीवन यन्त्रवत बन कर अनेकानेक व्याधियों की उत्पत्ति का कारण बन गया है।<br>जितने भी इस प्रकार के लोग हैं वे सब रक्तचाप तथा अन्यान्य रोगों के शिकार बनते हैं। किसी भी कारण से क्यों न हो यदि मन और शरीर के परस्पर संबंधों में किसी प्रकार का विकार उत्पन्न हो जाता है और वह विकार स्थायी बन जाता है तो फिर उसका परिवर्तन हृदय-विकार अथवा रक्तचाप जैसे भयंकर रोगों में हो जाता है।<br>रक्तचाप से पीड़ितों की संख्या अत्यधिक है और यह निरन्तर बढ़ती ही जा रही है। आज का मानव चिन्ता तनाव और अन्यान्य परेशानियों से परेशान है।<br>विधाता द्वारा प्रदत्त यह शरीर और मन बहुत ही सूक्ष्म तत्त्वों से बना हुआ है। इसके सभी यन्त्र भली प्रकार कार्यरत रहें इस पर प्रत्येक प्राणी को ध्यान देना चाहिए।<br>उसके लिए शरीर की रक्त संचार व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना पड़ता है। यह परमावश्यक है।<br>प्रस्तुत पुस्तक में हमने रक्त-चाप कारण निदान इलाज पर प्रकाश डाला है। पुस्तक कितनी उपयोगी बन पड़ी है।
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