<p>कल्पना कीजिए एक ऐसी दुनिया की जहाँ आप मनचाही चीज़ प्राप्त कर सकते हैं पर एक क़ीमत पर। और जहाँ एक रहस्यमयी दीवार आपसे बातें करती है पर बदले में आपकी सबसे प्रिय चीज़ चुरा लेती है।</p><p>क्या होता है जब एक लेखक अपनी ही लिखी कहानी में क़ैद हो जाता है?</p><p>और क्या होता है जब एक आईना आपको आपकी कल्पना से मिला देता है पर क़ीमत में आपकी ज़िंदगी माँगता है?</p><p>विभु ओम् की शीर्षक कहानी 'बोलती दीवार' के साथ नौ और अद्भुत कहानियों का यह संग्रह आपको कल्पना रहस्य और मनोविज्ञान की उन गहराइयों में ले जाएगा जहाँ तर्क दम तोड़ देता है और ज़िन्दगी के अनसुने सच आकार लेने लगते हैं।</p><p> </p><p>इस संग्रह की दुनिया में आपका स्वागत है जहाँ आप मिलेंगे:</p><ul><li>एक लड़की से जो अपने हर 'काश' को मिटाने की क़ीमत अपनी आत्मा से चुकाती है।</li><li>एक ऐसे किताब घर से जो मरने की कगार पर है और जिसमें ज़िंदा कहानियाँ ख़ुद को बचाने की गुहार लगा रही हैं।</li><li>एक AI असिस्टेंट से जो यह तय करना मुश्किल कर देती है कि वह एक असिस्टेंट है... या मुसीबत।</li><li>एक भूला-बिसरा पश्मीना मफ़लर जो अतीत के उस प्यार की दास्ताँ कहता है जिसे कभी कहा नहीं गया।</li><li>और एक साधु से जिसे चालीस साल के वैराग्य के बाद अपने ही अतीत का सामना एक रहस्यमयी कुएँ के सामने करना पड़ता है।</li></ul><p> </p><p>अगर आप ऐसी कहानियाँ पढ़ना पसंद करते हैं जो सिर्फ़ मनोरंजन नहीं बल्कि एक गहरा अनुभव देती हैं जिनके किरदार आपके दिल में घर कर जाएँ और जिनका रहस्य आपके ज़ेहन में देर तक बना रहे तो यह किताब आपके लिए ही है।</p><p>आइए और सुनिए ये दीवारें क्या कहती हैं।</p>
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