सन् 2008 में मेरे पैर के फ्रेक्चर के बाद प्रेस से मैंने अवकाश ले लिया। इसके बाद दिन भारी होने लगे तब मैंने लेखन का सहारा लिया। कम्प्यूटर में लिखने का कार्य शुरू किया।लेखन आज भी अनवरत रूप से जारी है।दिनचर्या में जब लोगों से हम मिलते-जुलते हैं और बातचीत करते हैं तो व्यंग्य के प्रसंग भी आते-जाते रहते हैं।ऐसे ही छोटे-छोटे प्रसंगों को मैंने लिखना आरंभ किया।धीरे-धीरे लघु-व्यंग्यों का संग्रह तैयार होने लगा।लगभग चालीस के करीब लघु व्यंग्य मेरे पास इकट्ठे हो गए।इन्हें बोनसाई बसंत शीर्षक से कम्पूयटर में संजो लिया पर कम्प्यूटर जल गया और मेरा लिखा उसमें स्वाहा हो गया।इसके बाद स्मृतियों से निकाल कर पुनः संग्रहित करने का प्रयास किया।वही आज प्रकाशित होकर आपके हाथों तक पहुंचा है।चार पुस्तकों के प्रकाशन के बाद बोनसाई बसंत पांचवीं पुस्तक है।किताबों का प्रकाशन जरूर जल्दी-जल्दी हुआ है पर इनके लेखन में लगभग बारह वर्षों की अवधि खप चुकी है। आप सबके प्रोत्साहन ने मेरे लेखन को न केवल जिंदा रखा वरन् निरंतरता भी प्रदान की है।आज भी मैं अच्छे से अच्छा लिखने की कोशिश करता चला आ रहा हूं।हालांकि इसकी अच्छाई-बुराई तो आप तय करेंगे न।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.