आपको यह पुस्तक क्यों पढ़नी चाहिए::: क्या आपने कभी रात के आकाश की ओर देख कर सोचा है — यह ब्रह्मांड क्या है? इसमें मेरी जगह कहाँ है? क्या इस सबके पार भी कुछ है? यह पुस्तक केवल विज्ञान के बारे में नहीं है। यह केवल आध्यात्मिकता के बारे में भी नहीं है। यह हमारे बाहरी और भीतरी ब्रह्मांड दोनों की बात करती है। यह उन दोनों के संबंध को समझाती है — कैसे वे एक-दूसरे से मिलते हैं कैसे वे एक-दूसरे को पूर्ण करते हैं। यह पुस्तक आपको एक यात्रा पर ले जाती है — क्वांटम कणों की रहस्यमयी दुनिया से लेकर प्राचीन भारतीय ग्रंथों के शाश्वत सत्यों तक। आइंस्टीन और श्रोडिंगर के समीकरणों से लेकर कृष्ण और भारतीय ऋषियों की दिव्य बुद्धि तक। अंतरिक्ष की गहन निस्तब्धता से लेकर हमारे अपने मन की निःशब्द गहराइयों तक। आप जानेंगे कि प्राचीन भारतीय ऋषियों ने जिस ब्रह्मांड और ब्रह्म चेतना की बात हजारों साल पहले की थी उसके बारे में आज की क्वांटम भौतिकी अभी केवल फुसफुसा ही रही है। यह पुस्तक आपको केवल तथ्यों की जानकारी नहीं देती — यह आपको एक दृष्टिकोण देती है। यह आपको केवल शिक्षित नहीं करेगी — यह आपको भीतर से रूपांतरित कर देगी। यदि आप उन लोगों में हैं जो ब्रह्मांड को जानने की जिज्ञासा रखते हैं जो गहराई की तलाश में हैं जो सतही जीवन से आगे बढ़ना चाहते हैं — तो यह पुस्तक आपकी वास्तविकता को देखने का नज़रिया बदल देगी। इसे केवल आंखों से नहीं हृदय से पढ़िए।
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