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About The Book
Description
Author
पूर्ण बहुजन समाज को एक इकाई के रूप में ग्रहण करने की जरूरत है। मिल बैठ कर रहने की जरूरत है। आपसी विवाद भी बहुजन समाज में ही सुलझाने की जरूरत है। आपस में रोटी बेटी का व्यवहार करने की जरूरत है। ऐसी नई संस्कृति का निर्माण करने की जरूरत है जिसमें समस्त बहुजन समाज समा जाएं। ऐसे सांस्कृतिक आयोजन करने की जरूरत है जो सम्प्रदायों व जातियों से परे हो।