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Description
Author
महोबा का करकरा पान व ताला सैयद के शिष्य आल्हा-ऊदल की चर्चा ज्यों-ज्यों विश्वव्यापी बनती गइ्र्र त्यों-त्यों इतिहासकारों और जिज्ञासुओं की दृष्टि महोबा और उसकी सांस्कृतिक धरोहरों की परम्परा की ओर आकृृष्ट हुई है। महोबा के सूर्य मंदिर खकरामठ मझारीदीप वाराहदरिया आदि स्मारकों के शिल्प पर छायी हुई चंदेल संस्कृति की छाप के रहस्योद्घाटन का प्रयास देशी व विदेशी विद्वान कर रहे है। उनके शिल्प की अंगभूत सामग्री और विषयवस्तु का वैविध्य अध्योताओं की मान्यताओं कोे स्थिर ही नहीं होने देता।