लेखक आजकल उत्तर प्रदेश के नोएडा में रहते हैं और जीविका एक कंपनी में कार्यरत रहते हुए चलाते हैं। लेखन उनके लिए प्राणवायु जैसा है। जब भी समय मिलता है और भावनाओं का ज्वार मन मस्तिष्क में हावी हो जाता है तो सारा काम छोड़-छाड़कर अपने शब्दों के अल्पज्ञान से ही जज़्बात को कागज में उकेरना शुरू कर देते हैं। वही शब्द कभी कविताओं में ढलते हैं और कभी कहानियाँ बनकर बह जाते हैं। लेखक का शरीर भले ही शहर में हो आत्मा अभी भी पहाड़ों में ही विचरण करती है। कविताओं और कहानियों में पहाड़ों की यादें अपने आप परिलक्षित हो जाती हैं। इस किताब में भी अधिकतर कहानियाँ पहाड़ों के पृष्ठ भूमि पर ही उकेरी गयी हैं। पहाड़ों में रहने वाले और पहाड़ों से प्रेम करने वाले इन कहानियों से भी प्रेम करेंगे ऐसा लेखक का विश्वास है। लेखक की यह पाँचवी प्रकाशित किताब है। इससे पहले वह ‘इंद्रधनुष- नवोदय के सात साल’ (संस्मरण) ‘मिगमीर सेरिंग और अन्य कहानियाँ’ (कहानी सँग्रह) ‘कलम’ (कविताओं की साझा पुस्तक) और अंग्रेजी भाषा में ‘Happiness 1.1 Reloaded’ लिख चुके हैं।
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