हिन्दी साहित्य गगन के पुरोधा रचनाकार एवं सुकवि प्रियवर विद्यावाचस्पति अमरेश कुमार मिश्र जी का एक और काव्य संग्रह ‘चहकती हैं बेटियाँ” सद्य: प्रकाशन हेतु तैयार है| पांडुलिपि मेरे समक्ष है और मैं लगभग कविताओं से गुजर चुका हूँ| काव्य सृजन में कवि का शिल्प-विधान जितना सरस है शब्द संयोजन और छंद विन्यास उतना ही मनुहारी| यथास्थान अलंकार का निरूपण सर्जना को और भी श्लाघ्य एवं पठनीय बनाता है| पुस्तक की प्रथम रचना भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों को की गई प्रार्थना के माध्यम से समर्पित है जो कवि की आस्तिकता एवं उसकी अप्रतिम आस्था को निरूपित करता है| जल थल और नभ से जुड़ी अनुभूतियाँ रचनाओं में हिलोरें लेती नजर आती हैं| कतिपय रचनाओं में कवि का दार्शनिक व्यक्तित्व का आभास पाठक को अनायास ही चिंतन की गहराइयों में तैरनें हेतु विबस कर देता है| सच तो यह है कि मैं अभिभूत हूँ और कह सकता हूँ कि यह कृति निश्चय ही सुगम पठनीय एवं पाठकों के लिए संग्रहणीय होगी|
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