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About The Book
Description
Author
‘‘सलमा!’’ दूध पीकर अभी-अभी पालने में लेटे हुए बच्चे पर नजर बिछाते हुए रमजानी ने पत्नी से कहा ‘‘अगर br>तेरे को बाप और बेटा दोनों में से किसी एक को चुनना हो तो किसे पसंद करेगी तू?’’ ‘‘सुहाग है तो संसार है’’ तुरंत उत्तर देते हुए पत्नी सँभल गई ‘‘मियाँ यह खयाल br>तेरे को आया कैसे?’’ तुम्हारी मृत्यु का कारण तुम्हारी संतान होगी। रमजानी ने अपने दिल के तहखाने में छिपाकर रखी कनफटे कापालिक की भविष्यवाणी जाहिर की और बीवी भहराकर रो दी। बुझाने को उसके मरद ने एक ऐसी पहेली उसके आगे रख दी थी जिसका कोई सुखकर हल नहीं था। वह जार-जार रोती रही। बार-बार बच्चे को उठाकर उसके चुम्मे लेती रही। रमजानी पत्नी को अपनी बाँहों में लेकर सांत्वना देता रहा। × × × कोई शख्स किराए पर अपना मन देता है तो कोई अपनी दुकान। बात साधारण सी है। पर अब कोई स्त्री अपनी कोख किराए पर देने लगे तो? एक साथ कई प्रश्न हमारे सामने खड़े हो जाते हैं—क्यों? तह-दर-तह एक स्त्री के मानस का विश्लेषण करता है उपन्यास ‘पेशा’|