प्रस्तुत उपन्यास “चंबल का शिक्षित बगावती” प्रमुख रूप से बागियों और गौण रूप से तवायफों के जीवन के उज्जवल पक्ष को पाठकों के सम्मुख रखता है. कुछ असलियतों और शेष कल्पनाओं पर आधारित यह उपन्यास बगावती बनने की मजबूरियों से लेकर उनके बीहड़ों में दर दर भटकने का सूक्ष्म अध्ययन करता हैं और बताता है कि बागी होना न सरल है न सुगम.
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