भारत का प्रथम ऐतिहासिक चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य और उसका धर्म एक ऐतिहासिक नवीनतम् विश्लेषण - डॉ. आज्ञाराम शाक्य (PhD) --- भारत के राजनैतिक इतिहास के चन्द्रगुप्त मौर्य प्रथम सम्राट है। उन्हें वैदिक काल के बाद के प्रथम ‘चक्रवती सम्राट‘ भी कहा जाता है। अपने समय के विश्व में वे सबसे अधिक शक्तिशाली राजपुरूष थे। मानव सभ्यता के उदय से ही धर्म प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक अभिन्न अंग रहा है और सम्राट भी इससे अलग नहीं रह सकता। यद्यपि चन्द्रगुप्त के जीवन में धर्म का कोई सक्रिय योगदान दिखाई नहीं देता है क्योंकि जिन परिस्थतियों में वे सिंहासनारूढ़ हुए उनमें धर्म कम महत्वपूर्ण था राष्ट्र में सुरक्षा स्थिरता व शान्ति बनाये रखना प्रथम था। यही कारण है कि चन्द्रगुप्त के व्यक्तिगत धर्म के सम्बन्ध में स्थिति कुछ विवादग्रस्त है पर विशद व गहन छानबीन करने से उसके व्यक्तिगत धर्म की पहचान पूर्णतः स्पष्ट हो जाती है। अधिकांश प्राच्यविद जैन ग्रन्थों के अनुसार चन्द्रगुप्त को जैन मतावलम्बी मानते हैं। वे लिखते हैं कि चन्द्रगुप्त ने अपने शासन के अन्तिम वर्षों में अकाल की भविष्यवाणी के चलते जैन आचार्य भद्रवाहु से जैन धर्म की दीक्षा ली थी तथा उनके साथ दक्षिण श्रवणवेलगोला चले गये और वहीं जैन परम्परा के अनुसार आत्म सलेखना कर प्राण त्यागे। लेकिन सारे जैन ग्रन्थों में एक मत्यता का अभाव है।
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