Charitraheen (चरित्रहीन)

About The Book

<p> शरत्चन्द्र भारतीय वांग्मय के ऐसे अप्रतिम हस्ताक्षर हैं जो कालातीत और युग संधियों से परे हैं। उन्होंने जिस महान साहित्य की रचना की है उसने पीढ़ी-दर-पीढ़ी पाठकों को सम्मोहित किया और संचारित किया है। उनके अनेक उपन्यास भारत की लगभग हर भाषा में उपलब्ध हैं। उन्हें हिंदी में प्रस्तुत कर हम गौरवान्वित हैं।<br>प्रस्तुत उपन्यास 'चरित्रहीन' के प्रमुख पात्र सतीश को सभी चरित्रहीन समझते हैं। खुल्लम-खुल्ला उसे लांक्षित करते हैं लेकिन क्या दीन-दुखियों निराश्रित और निरापद व्यक्तियों को आश्रय देना उनके पक्ष में छाती तानकर खड़े हो जाना चरित्रहीन का प्रमाण है? क्या मानव के नाते दूसरे मानव के प्रति स्नेह त्याग और बलिदान की भावना रखना चरित्रहीनता का प्रतीक है?<br>बंगला भाषा के अमर शिल्पी शरत् ने अपने इस उपन्यास में समाज की घिनौनी मान्यताओं पर करारी चोट करते हुए 'चरित्र' की जो मीमांसा की है वह कहां तक उचित और न्यायसंगत है पाठक स्वयं निर्णय कर लेंगे।</p>
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