‘चश्मा-पुराण’ नामक यह कहानी-संग्रह लेखक की ताजातरीन सप्त -कथाओं का एक खूबसूरत गुलदस्ता है। इस पुष्प - गुच्छ के कथा-सुमन मानव के नैतिक सामाजिक चारित्रिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों से वास्ता रखते हैं। इस संकलन की अधिकांश कहानियाँ लेखक के हृदयगत भावों की गहराई जीवनानुभव की व्यापकता एवं साहित्यिक-समझ की विशालता लिए हुए हैं। संभवतया इसी वजह से इन कहानियों में कुछ विस्तार दिखाई देता है लेकिन यह कहानियों की माँग के अनुरूप ही हुआ है। कथाकार कहानियों के पात्र और घटनाओं के साथ-साथ चला है। इन रचनाओं में कोई भी बात ऊपर से थोपी या आरोपित की हुई नहीं हैं इस पुस्तक की ‘चश्मा-पुराण’ और ‘दन्त-रहस्य’ आदि कहानियाँ हास्य और व्यंग्य का किंचित पुट लिए हुए हैं और इन्हें पढ़कर पाठकों का अवश्य ही स्वस्थ मनोरंजन होगा। पुस्तक की कथा-रचनाएँ लेखक के निजी-जीवन के अनुभवों से अनुस्यूत हुई हैं और अनेक कथा - घटनाओं का तो वह स्वयं प्रत्यक्षदर्शी और गवाह भी रहा है। इससे पहले लेखक छोटी और बड़ी लगभग त्रिशत ( तीन सौ ) कहानियों का सृजन कर चुका है जिनमें से कई कहानियाँ ‘उपहार’ ‘नया सवेरा’ ‘कर्मभ्रष्ट’ ‘पाखण्डी’ ‘मनमीत’ ‘आक के फूल’ आदि अनेक कथा-संकलनों के रूप में प्रकाशित हो चुकी हैं और कुछ प्रकाशनाधीन हैं।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.