*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹275
₹299
8% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
चतुर्भुज उपन्यास एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है जो अपने कृत्यों के कारण कुख्यात है. ग्राम तहसील व् जिला स्तरीय गतिविधियों में स्थापित किया. वे सब सफलता के सोपान पर अग्रसर हुए. उन सभी ने अपने क्षेत्रों में यश धन वैभव कमाया पर अंत समय में अपने मूल कर्तव्यों के प्रति अनुरागी न होने से स्वयं अपने बनाये मकड़जाल में फंस गए|यह कहानी वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भी उतनी ही खरी उतरती है जितनी राष्ट्र की स्वतंत्रता के पूर्व थी. परंपरा को त्यागना या परंपरा पर चलना बहुत कठिन काम है. सुगमता इ जो मिलता है हम वही चाहते हैं भले ही उसके पीछे नैतिकता का कितना ही पतन हो जाए. जिन कर्तव्यों का पालन जिन्हें करना चाहिए वे स्वार्थ लिप्सा के वशीभूत कर्तव्यबोध से दूर होकर आत्मग्लानि में डूब जाते हैं|यह कहानी सीख देती है कि जैसा बोया वैसा पाया इस पहलू पर आत्म निरिक्षण कर हम अधिक से अधिक सुधार कर स्वयं समाज व् देश की प्रगति में सहायक हो सकते हैं|