जयशंकर प्रसाद की कहानियाँ मानव मन की सूक्ष्मतम भावनाओं समाज की विडंबनाओं और जीवन के दार्शनिक प्रश्नों को गहराई से स्पर्श करती हैं। “छाया” में प्रेम त्याग मोह और आत्मबल के ऐसे अनेक रंग समाहित हैं जो पाठक को आत्ममंथन के लिए प्रेरित करते हैं। ‘छाया’ कहानी में प्रसाद जी ने नारी के त्याग और पुरुष के आत्मसंघर्ष को अत्यंत मार्मिक ढंग से चित्रित किया है। अन्य कहानियाँ भी भारतीय जीवन के विविध पहलुओं को उजागर करती हैं — कहीं करुणा है कहीं आदर्शवाद और कहीं मानवता की झलक। यह संग्रह न केवल साहित्यिक आनंद प्रदान करता है बल्कि मानवीय संवेदनाओं का गहन दर्शन भी कराता है। “सौंदर्य केवल रूप में नहीं त्याग और प्रेम में भी छिपा होता है।”
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