Chhayawad

About The Book

व्यक्तिवाद पूँजीवाद की चारित्रिक विशेषता है। ज्यों-ज्यों पूँजीवाद अपना स्वरूप बदलता है व्यक्तिवाद भी अपने-आपको बदल लेता है। हम जिस चरम व्यक्तिवाद के दर्शन अज्ञेय और नयी कविता में पाते हैं जो आगे चलकर सुखवादी ऐन्द्रिक रचनाओं का अतिवादी आधार बनी उस व्यक्तिवद की शुरुआत छायावाद से ही हुई जबकि प्रगतिवाद काव्य सरोकारों को मनुष्यता के प्रति दायित्व से जोड़ता है। यहाँ मूल्यों का आधार मनुष्य है। इस व्यक्तिवाद के आधार पर कहा जा सकता है कि छायावाद प्रगतिशील आन्दोलन और उसके मूल्यों का विरोधी आन्दोलन था। फिर भी छायावाद को राष्ट्रीय आन्दोलन से जोड़कर देखने की जिद की गयी और जो साहित्य राष्ट्रीय आन्दोलन से सीधे तौर पर जुड़ा था उसे खारिज करने की पूरी कोशिश की गयी।
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