यह पुस्तिका मुख्यधारा से परे.. उसके समानान्तर.. उसी में घुला-मिला और एक अर्थ में अनुलग्नक जीवन का ही अनुभव है। यहाँ पंछी हैं पेड़ हैं मेघ.. वर्षा.. नदियों की जलधार है। कुछ फूल-पत्तियाँ हैं। साधारण से अतिसाधारण लोग हैं। जड़-जंगम वस्तुएँ हैं। वर्तमान है.. भूत की स्मृतियाँ हैं। आह और आनन्द हैं। शोक.. और पुलक है। इन सभी जगहों पर अनुभूति ही प्रधान है। अनुभूति के साथ यदा-कदा सूक्ष्म चिन्तन भी चलता रहता है। इसे किसी साहित्यिक विधा में बाँटना कुछ जटिल हो सकता है। कुछ डायरी लेखन जैसा.. कुछ स्वगत कथन.. कुछ ललित.. कुछ खुरदरा।
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