Chhote-Chhote Samandar


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About The Book

इस संग्रह ‘छोटे-छोटे समंदर’ की सभी रचनाओं की सीमा-रेखा सौ शदों के आस-पास है। कुछ रचनाएँ तो पचास शदों में ही अपनी पूर्णता को पहुँच गई हैं। इसके कमतर शदों में होने के पीछे लेखक की जानी-बूझी गद्य-क्षणिका का अस ही है। यदि वे लघुकथा समझकर लिख रहे होते तो पूरे पन्ने या उससे भी अधिक शद उसमें आ सकते थे जिस तरह हाइकु की एक परिसीमा होती है। प्रस्तुत गद्य-क्षणिकाओं का सरोकार फेसबुक से है और इसे चाहनेवाले फेसबुक के तमाम मित्र हैं। उन्हीं लोगों से संबल पाकर लेखक गद्य-क्षणिकाएँ लिखते गए और अब तक उन्होंने हजार से अधिक गद्य-क्षणिकाएँ लिख ली हैं। गद्य में अपनी बात कहने के लिए विस्तार की बहुत बड़ी संभावना रहती है जबकि वह विस्तार को समेटने का प्रयास करते हैं। लेखक को उनकी एक-एक गद्य-क्षणिका पर फेसबुक पर सौ तक लाईक और तमाम प्रतिक्रियाएँ प्राप्त हो जाती हैं। इसका तात्पर्य यही तो हुआ यह हिंदी साहित्य के किसी एक कोने की भरपाई तो कर ही रही है। कम शदों में समंदर की भाँति ज्ञानराशि समेटे प्रेरक लघुकथाओं का पठनीय संकलन।
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