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About The Book
Description
Author
हंस बनने का अर्थ हैः मोतियों की पहचान आंख में हो मोती की आकांक्षा हृदय में हो। हंसा तो मोती चुगे! कुछ और से राजी मत हो जाना। क्षुद्र से जो राजी हो गया वह विराट को पाने में असमर्थ हो जाता है। नदी-नालों का पानी पीने से जो तृप्त हो गया वह मानसरोवरों तक नहीं पहुंच पाता_ जरूरत ही नहीं रह जाती।<br />मीरा की इस झील में तुम्हें निमंत्रण देता हूं। मीरा नाव बन सकती है। मीरा के शब्द तुम्हें डूबने से बचा सकते हैं। उनके सहारे पर उस पार जा सकते हो।