Chintan Karu Mai

About The Book

“चिंतन करूँ मैं” काव्य-संग्रह की रचनाओं का मुख्य उद्देश्य लोगों में चेतना का विकास करना है । आज के बदलते सामाजिक परिवेश भौतिकतावाद तथा आधुनिकता की भाग दौड़ में मानव अपने निजी स्वार्थों में उलझकर समाज तथा देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भूलता जा रहा है । इस काव्य-कलश की रचनाओं को शब्दों की माला में पिरोने से पहले कवि ने पहले स्वंय के द्वारा स्वयं का चिंतन किया है तथा इसके बाद समाज तथा सामाजिक परम्पराओं तथा बदलती व लुप्त होती संस्कृति का गहनता से अवलोकन कर चिंतन किया है । “चिंतन करूँ मैं” कविता मनुष्य के पाँच मुख्य शत्रु जो खुद के अन्दर ही विराजमान हैं जैसे- काम क्रोध मद लोभ मोह को दूर करने की प्रेरणा देती है । “जीवन एक खिलौना है” कविता जीवन को हंसकर जीने तथा परिस्थितियों से लड़ने की प्रेरणा देती है । “आया सावन झूम के” कविता प्रेरणा देती है कि हमें किस प्रकार खुद को सदगुणों से परिपूर्ण रखना चाहिए । “इन्द्रधनुष के सात रंग” एकता का प्रतीक है । “मैं औरत हूँ” कविता एक औरत के गुणों का व्याख्यान करती है । “माँ” सृष्टि का सार है “पिता” हम सबकी पहचान है तथा “गुरु” बिना जीवन नर्क है कविताएँ समर्पण भाव से परिपूर्ण हैं । “ये देश रहना चाहिए” देशभक्ति तथा “मैं इंसान हूँ” तथा “मैं पवित्र रक्त हूँ” कविताएँ जाति-मजहब के झगड़ों का पुरजोर विरोध करती हैं । “पिंजरे का पंछी हूँ” कविता गुलामी की बेड़ियों में जकड़ने की पीड़ा का व्याखान कर रही है । “पर्यावरण सुरक्षा” तथा “मैं ही वो निर्मल जल हूँ” कविताएँ मानव की मूलभूत आवश्यकताओं की ओर इशारा करती हैं । “वो तर्पण लाया हूँ” तथा “वो इंसाफ कर दूंगा” कविताएँ समर्पण के भाव से परिपूर्ण हैं ।
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE