CHIRAGON KI PAIRVI

About The Book

कुछ सुख़नवर ऐसे होते हैं जो अपने तख़य्युल को अल्फ़ाज़ में इस तरह ज़म करते हैं कि उन्हें पढ़ने के बाद दिल बेसाख़्ता कह उठता है ‘वाह’ और ज़हन यूँ मुतमईन होता है कि क़लम की ऐसी रोशनाई यक़ीनन उर्दू अदब को तवानाई बख़्शेगी। ऐसे ही सुख़नवरों की फेहरिस्त में एक रोशन नाम है। ‘‘चिराग़ों की पैरवी’’ शेरी मजमुए के ख़ालिक़ जनाब ‘‘कमल कटारिया करन’’ साहब का जो उर्दू अदब के एक ऐसे रोशन चराग़ हैं जो मुस्तकबिल में अपनी रोशनी से आने वाली नस्लों की रहनुमाई फ़रमाएंगे। - शाहनवाज अन्सारी
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