विचार समझ से महत्वपूर्ण हो गए हैं क्योंकि बहुत ममत्व हमने उनको दिया है। इस ममत्व को एकदम तोड़ देना जरूरी है। और तोड़ना कठिन नहीं है क्योंकि यह बिलकुल काल्पनिक है। यह जंजीर कहीं है नहीं केवल कल्पना में है। विचार के प्रति ममत्व का त्याग जरूरी है। पहली बात: विचार के प्रति अपरिग्रह का बोध। दूसरी बात: विचार के प्रति ममत्व का त्याग। और तीसरी बात: विचार के प्रति तटस्थ साक्षी की स्थिति। पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: जीवन की खोज और मृत्यु का बोध क्या हमारे मन स्वतंत्र हैं या परतंत्र? कहां है इस सारे जगत का जीवन-स्रोत? निर्विचार द्वार है सत्य का ओशो
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