क्षुद्र जीवन की त्रासदी को चेख़व जैसी तीक्ष्णता और स्पष्टता से कोई नहीं समझता था और उनसे पहले किसी ने भी लोगों को इतनी निर्ममता और सच्चाई के साथ यह नहीं दिखाया था कि अपने अँधेरे एकरस रोज़मर्रा के जीवन में वे किस तरह उदासी और निर्लज्जता के बीच जिये चले जाते थे। तुच्छता उनकी सबसे बड़ी शत्रु थी। वे सारी ज़िन्दगी उससे लड़ती रहे वे उस पर हँसते थे और बिना किसी उत्तेजना के उस पर अपनी धारदार क़लम चलाते थे। - मक्सिम गोर्की
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