*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹165
₹185
10% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
...इस आदमी को कैसे गुलाम बनाओगे ? शरीर का सुख इन्हें चाहिए ही नहीं। मन का रंजन इन्हें चाहिए ही नहीं। दुर्भावना वे किसी के प्रति रखते ही नहीं है। इनके चित्त में एक ही भावना सदा प्रवाहिता रहती है सब का भला हो। सबका कल्याण हो। वह भी बिना शर्त बिना बदले में कुछ चाहे। इनका सारा होना अपनी चेतना में निहीत है। इनकी चेतना को कोई नहीं छीन सकता। जो छीना जा सकता है इनका उसमें कोई रस ही नहीं है। उस छीनने लायक को वे स्वयं ही छोड़ने को राजी हैं। यही है धम्म की ऊंचाई। यही है धम्म की गरिमा। जो छीना जा सके वह भी कोई धम्म हुआ... !