बचपन की यादों संबंधी सभी अनुभवों को लेखक ने किताब में 19 शीर्षकों में संजोया है। बचपन में हमें न भूतकाल की कोई चिंता रहती थी और न ही भविष्य की बस हर क्षण का मज़ा लेते थे और वे पल जीवन से भरपूर हुआ करते थे। इस किताब के माध्यम से लेखक आज के आपाधापी वाले जीवन में उलझे हुए कई लोगों को कुछ समय के लिए बचपन की उस सपनीली दुनिया में ले जाना चाहता है जो उनके अवचेतन में कहीं न कहीं छुपी हुई है और इस तरह उन्हें कुछ सुकून के पलों का एहसास कराना चाहते हैं।
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