This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.भक्ति योग स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित एक आध्यात्मिक ग्रंथ है जिसमें उन्होंने भक्ति यानी ईश्वर के प्रति प्रेम और समर्पण को मोक्ष का एक सरल और प्रभावशाली मार्ग बताया है। इस पुस्तक में स्वामी जी ने बताया है कि सच्ची भक्ति आत्म-समर्पण श्रद्धा और ईश्वर में अटूट विश्वास से उत्पन्न होती है।उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भक्ति किसी अंधविश्वास या अंधानुकरण का नाम नहीं बल्कि यह एक उच्च मानसिक अवस्था है जिसमें भक्त अपने अहं को छोड़कर ईश्वर में एकत्व का अनुभव करता है। भक्ति योग यह सिखाता है कि प्रेम ही सबसे महान शक्ति है और ईश्वर की प्राप्ति प्रेम और सेवा के माध्यम से संभव है।चाहो तो मैं इसके प्रमुख अध्याय या विचार भी साझा कर सकता हूँ।कर्मयोग स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित एक प्रेरणादायक ग्रंथ है जिसमें उन्होंने निष्काम कर्म यानी बिना फल की इच्छा के कर्म करने की महत्ता को समझाया है। यह पुस्तक बताती है कि यदि हम अपने कर्तव्यों को निःस्वार्थ भाव से निभाएं तो वह भी एक आध्यात्मिक साधना बन सकती है।स्वामी जी के अनुसार कर्म सिर्फ बंधन का कारण नहीं है बल्कि सही दृष्टिकोण से किया गया कर्म मोक्ष का मार्ग भी बन सकता है। यह ग्रंथ जीवन में सेवा त्याग और आत्मनियंत्रण के माध्यम से आत्मिक उन्नति का संदेश देता है।अगर चाहो तो मैं इसका सारांश या प्रमुख विचार भी दे सकता हूँ।राज योग स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित एक अत्यंत प्रभावशाली ग्रंथ है जिसमें उन्होंने राजयोग यानी ध्यान और मानसिक अनुशासन के माध्यम से आत्म-साक्षात्कार का मार्ग बताया है। यह ग्रंथ मुख्य रूप से पतंजलि के योगसूत्रों पर आधारित है जिसे स्वामी जी ने सरल और व्यावहारिक भाषा में व्याख्यायित किया है।राजयोग का उद्देश्य है — मन को नियंत्रित करके आत्मा का अनुभव करना। इसमें ध्यान (ध्यान योग) धारणा समाधि और चित्तवृत्तियों का निरोध जैसे विषयों को विस्तार से समझाया गया है। स्वामी विवेकानंद बताते हैं कि यदि व्यक्ति अपने मन पर विजय पा ले तो वह अपने भीतर स्थित ईश्वर से एकत्व का अनुभव कर सकता है।यह पुस्तक योग ध्यान और मानसिक एकाग्रता की राह पर चलने वाले साधकों के लिए अत्यंत उपयोगी और मार्गदर्शक है।अगर आप चाहें तो मैं इसके कुछ मुख्य सूत्र या सिद्धांत भी साझा कर सकता हूँ।ज्ञान योग स्वामी विवेकानंद द्वारा रचित एक गूढ़ और प्रेरणादायक ग्रंथ है जिसमें उन्होंने ज्ञान मार्ग के माध्यम से आत्मा और परमात्मा की एकता को समझाने का प्रयास किया है। यह पुस्तक अद्वैत वेदांत पर आधारित है जिसमें विवेक (विवेचन शक्ति) वैराग्य (दुनियावी मोह से विरक्ति) और आत्म-चिंतन के द्वारा सत्य की खोज का मार्ग बताया गया है।स्वामी जी के अनुसार ज्ञान योग का उद्देश्य यह जानना है कि हम वास्तव में कौन हैं — आत्मा शरीर से अलग है और वह शुद्ध चैतन्यस्वरूप है। उन्होंने कहा कि अज्ञान ही बंधन का कारण है और सच्चा ज्ञान ही मुक्ति का मार्ग है।यह ग्रंथ उन seekers के लिए है जो तर्क चिंतन और आत्म-अन्वेषण के माध्यम से ईश्वर को समझना चाहते हैं।अगर चाहो तो मैं इसमें से कुछ प्रमुख उद्धरण या विचार भी बता सकता हूँ।
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