About the Book कोविड 19 के विषय में पहली बार सुना तो समझ में नहीं आया कि यह क्या है। न्यूज़ में देखा तो पता लगा कि समस्त विश्व में फ़ैल चुका है। इसके वायरस के संक्रमण से लाखों लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो रहे हैं। इतनी अधिक जानें जा रही हैं कि लाशों को अंतिम संस्कार के लिए लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ रही है। इस आपातकालीन स्थिति में हमारे देश में भी दूसरे देशों की तरह लॉकडाउन लगा दिया गया। इससे बाजार-दुकान मॉल स्कूल-कॉलेज सभी कुछ बंद हो गए। ऐसी स्थिति में अधिकतर लोगों के रोजगार छूट गए। रेल बस एवं सभी आवागमन के साधन बंद हो गए तो गरीब वर्ग को सैकड़ों किलोमीटर रास्ता पैदल तय करके अपने गाँव वापस जाना पड़ा। गरीब परिवारों को किन दुःखद हालातों से गुजरना पड़ा उन्हें कैसी परेशानियां झेलनी पड़ीं इन्हीं सब हालातों का पुलिंदा है यह उपन्यास। About the Author विमलेश गंगवार ‘दिपि’ का जन्म जि0 बरेली के पचेपड़ा गाँव में हुआ। पिता जी श्री स्व. चेतराम गंगवार जी लगभग तीस वर्ष सक्रिय राजनीति में रहे एवं उत्तर प्रदेश विधान सभा से कई बार विधायक एवं मंत्री रहे। माता जी श्रीमती स्व. सत्यभामा देवी बहुत परोपकारी पृवत्ति की थी। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा गाँव में एवं बी.ए. एम.ए. बरेली कॉलेज बरेली से बी.एड. लखनऊ विश्वविद्यालय से हुई। यह अब सेवानिवृत्त प्रवक्ता हैं और पूरी तरह लेखन में व्यस्त हैं। इनके अब तक दो उपन्यास “हम दोनों के लिये”और “सिसकती झेलम” कहानी संग्रह “हथौड़ी छेनी और छुरा” तथा लगभग पचास अन्य कहानियाँ जिसमें बाल कहानी एवं लघु कथाएँ भी शमिल हैं विभिन्न पत्र/पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
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