Cry Of The Womb / कोख़ का क्रन्दन

About The Book

मत मारों कोख में समाज के सभी वर्गो में एक ताड़ना स्वरूप है लेखक का मन चीत्कार कर रहा है । उस नन्हीं जान हेतु जो अधखिली होने पर भी श्वासों के पूर्ण वयस्क होने से पहले ही नोच खसोंट कर मिटा दी जाती है धिक्कार करता है उस वर्ग पर जो इस निर्मम कृत्य में सहयोगी होते है लेखक ने उस नन्हीं जान के दर्द को समझ कर बयान करने का एक क्षुद्र प्रयास किया है । इसे पढ़कर शायद कोई मासूम कली के दर्द को समझ सके उसे कुचलने से पहले उस पर बीतने वाले मंजर को महसूस कर सके व इस कुकृत्य से तौबा कर ले लेखक की चाहना है कि यह पुस्तक व्यक्ति-व्यक्ति तक पहुँचे और सभी एक जुट हो भ्रूण हत्या के खिलाफ होते आगाज को उसके दर्द को महसूस करके अंजाम तक पहुँचाये कन्या बचाओं महायज्ञ में लेखक की इस नन्हीं आहुति से सुगंधित समिधा बने और नारी जीवन को महका दे यही चाहना के साथ ये पुस्तक प्रस्तुत है ।
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