बस करो मां जी! अब मुझे अधिक मत सताओ मैं अब और अधिक सहन नहीं कर सकती मेरे पिताजी और भाइयों ने आपकी हर मांग पूरी की है अब मैं अपने पिताजी के आगे हाथ नहीं फैला सकती। रूपा की सास और ननद रूपा को हर समय दहेज के लिए प्रताड़ित करती रहती थी। दूसरी तरफ अंजना एक आधुनिक पश्चिम संस्कृति में रंगी हुई लड़की जिसकी शादी एक गरीब परिवार के लड़के भानु से होती है भानु के माता-पिता को अंजना के पिता दहेज के लालच में फंसा कर भानू के पिता से शादी का वचन ले लेते हैं भानू अंजना की हरकतों से वाकिफ था लेकिन उसे अपने माता-पिता के बचन को पूरा करने के लिए चुप रहना पड़ा शादी धूमधाम से हुई दहेज भी बहुत मिला लेकिन अंजना की दोस्ती कॉलेज के कई लड़कों से थी। अंजना सास-ससुर को प्रताड़ित करती घर का कोई काम ना करती थी और अपनी माता से कहती मुझे सास-ससुर दहेज के लिए प्रताड़ित करते हैं अब मैं वहां रहने वाली नहीं । अंजना के पिता ने कोर्ट में केस दर्ज करवा दिया | एक बार भानु अंजना को मनाने अपने ससुराल गया | वहां उसके ससुर ने भानू को आधी रात को धक्के देकर घर से बाहर निकाल दिया । IPC की धारा 498-ए के तहत ₹500000/- का जुर्माना और दहेज वापसी के आदेश हुए |अंजना और उसके पिता दो पुलिस वालों को लेकर दहेज को ट्रक में भरकर चल पड़ते हैं उतने में भानू की माता अंजना के पैर पकड़ती है माफ करो बहू मत जाओ लेकिन अंजना अपनी सास को धक्का देकर नीचे गिरा देती है और कहती है की बुढीया अभी क्या अभी तो मैं आपकी जमीन जायदाद को विकाकर रहूंगी |भानू अपने कमरे की खिड़की से सारा दृश्य देखा रहा था । संविधान में आईपीसी की धारा 498-ए के तहत वर पक्ष के लिए एक ऐसा जाल बुना गया है जिसमें निर्दोष को भी बिना किसी गवाही के प्रताड़ना की सजा सहना पड़ती है आगे उपन्यास में पढ़िए--
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